जानिये… कैसे कारगिल युद्ध में ही खत्म हो जाती नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ की जिंदगानी ? जब जगुआर के निशाने पर आया पाकिस्तान का शीर्ष नेतृत्व !


ललित शर्मा

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रुद्रपुर।भारत आज 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मना रहा है लेकिन क्या आपको पता है कि एक समय ऐसा भी आया था जब हमारे लड़ाकू जहाजों के निशाने पर पाकिस्तान का शीर्ष नेतृत्व आ गया था और यदि वायुसेना का एक जगुआर लड़ाकू जहाज अपना निशाना नहीं चूकता तो पाकिस्तान का शीर्ष राजनीतिक व सैन्य नेतृत्व ही जन्नत की हूरों के पास पहुंच जाता।
आइये जानते हैं पूरा किस्सा…
कारगिल विजय दिवस देश के 140 करोड़ लोगों को गर्व महसूस कराने वाला दिन है। हर साल 26 जुलाई को यह दिन पूरा देश सेलिब्रेट करता है। इसी दिन 1999 के कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। हालांकि, इस युद्ध में एक वाक्या ऐसा भी था जिससे बहुत सारे लोग परिचित नहीं होंगे क्योंकि कारगिल युद्ध में ही परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ की भी जान जा सकती थी।
भारत सरकार के दस्तावेजों से पता चलता है कि 24 जून 1999 को करीब सुबह का समय था और लड़ाई भी अपने चरम पर थी।इसी दौरान भारतीय वायुसेना के एक जगुआर लड़ाकू विमान ने एलओसी पर पाकिस्तान के एक फॉरवर्ड मिलेट्री बेस पर अपना टारगेट सेट कर लिया था और उसके ठीक पीछे आ रहे दूसरे जगुआर विमान को लक्ष्य पर बमबारी करनी थी,लेकिन किसी कारणवश दूसरे जगुआर का निशाना चूक गया और उसने बम लेजर बॉस्केट से बाहर बम गिराया जिस कारण पाकिस्तानी ठिकाना बच गया।अगर दूसरे जगुआर के निशाने में चूक नहीं हुई होती तो पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ और जनरल परवेज मुशर्रफ बमबारी में मारे जाते, हालांकि जगुआर उड़ा रहे हमारे जांबाज पायलट को इस बात की कतई जानकारी नहीं थी कि परवेज मुशर्रफ और नवाज शरीफ भी वहां पर मौजूद थे।
अगले दिन सभी को इस बात की जानकारी हुई कि पाकिस्तान के इस मिलेट्री बेस पर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ भी पहुंचे हुए थे। कारगिल युद्ध के समय नवाज शरीफ और मुशर्रफ इस फॉरवर्ड बेस पर सैनिकों को संबोधित करने पहुंचे थे। साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने वायुसेना को एलओसी पार ना करने की भी हिदायत दे रखी थी।
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पाकिस्तानी घुसपैठ के बारे में कैसे पता चला…?
साल 1999 की शुरुआत में जम्मू कश्मीर के कारगिल में घुसपैठ कर पाकिस्तानी सेना के सैनिकों ने कई सारे ठिकाने बना लिये थे। पाकिस्तानी जवानों ने देखा कि भारत के चरवाहे अपनी भेड़ और बकरियों को चरा रहे हैं। उन्होंने आपस में चर्चा की थी कि इनको पकड़ कर बंदी बना लिया जाय फिर उन्होंने सोचा कि अगर इनको पकड़ लिया तो यह हमारा सारा का सारा राशन खा जायेंगे फलस्वरुप पाकिस्तानी सैनिकों ने उनको जाने दिया। इस बात की जानकारी चरवाहों ने इंडियन आर्मी को दी और फिर पाकिस्तान की चाल का खुलासा हो गया।
शुरुआत में तो भारतीय सेना ही नहीं बल्कि सरकार को भी इस कब्जे वाली बात पर यकीन नहीं हो रहा था। ऐसा इस वजह से था क्योंकि कुछ ही समय पहले तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पाकिस्तान जाकर लाहौर में गर्मजोशी के साथ शांति और विकास पर आधारित कई सारे समझौते किए थे लेकिन इस बात की पुख्ता खुफिया जानकारी मिलने के बाद अपनी खास प्लानिंग के साथ हमारे वीर योद्धाओं ने पाकिस्तानी सेना को भारत की सीमा से बाहर खदेड़ दिया।
भारत ने पाकिस्तानी सैनिकों को चटाई धूल-
कारगिल युद्ध में भारत ने भी अपना बहुत कुछ गंवाया, लेकिन पाकिस्तान के मंसूबों को पूरी तरह से तबाह कर दिया। इस जंग में भारत के करीब 527 जवानों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये प्राण न्योछावर कर दिये, वहीं पाकिस्तान के 2700 से लेकर 4000 सैनिकों की जान चली गई थी। इतना ही नहीं भारत ने पाकिस्तान को दोहरी मार दी। एलओसी के अलावा समुद्र में भी पाकिस्तान की जबरदस्त नाकेबंदी कर दी जिससे पाकिस्तान के समुद्री व्यापार पर भी गहरा असर हुआ। पाक पीएम नवाज शरीफ ने इस बात को मान लिया था कि भारत के साथ युद्ध अगर कुछ और दिन चला होता तो पाकिस्तान के पास केवल छह दिन का ही तेल बचा हुआ था।बहरहाल कारगिल युद्ध की जीत के बाद पूरे विश्व ने भारतीय सैन्य बलों की वीरता,साहस और युद्ध कौशल का लोहा मान लिया था।


