बड़ी खबर… पुलिस को 24 घंटे के लिये मिली शूटर सर्वजीत की रिमांड, वांक्षित अनूप सिंह के खिलाफ लुकआउट नोटिस व 50 हजार का ईनाम घोषित,


रुद्रपुर।बाबा तरसेम हत्याकांड में शामिल रहे शूटर से पूछताछ के लिये कोर्ट के आदेश पर पुलिस को उसकी 24 घंटे की रिमांड मिली है।हालांकि पुलिस ने माननीय न्यायालय से उसकी रिमांड 5 दिनों के लिये मांगी थी परन्तु उसे अब 24 घंटे की रिमांड अवधि में ही सर्वजीत से पूछताछ कर हत्याकांड से जुड़े राज उगलवाने होंगे।उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष 28 मार्च की तड़के नानकमत्ता में कारसेवा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह डेरे के सामने रोज की तरह समाचार पत्र पढ़ रहे थे कि तभी अचानक बाइक सवार दो लोगों ने राइफल से उन पर तड़ातड़ गोलिया बरसा दीं।हत्याकांड को इतने शातिराना और बेखौफ ढंग से अंजाम दिया गया था कि बाबा तरसेम को संभलने तक का मौका नहीं मिला।वारदात के चंद सेकण्ड के भीतर बाइक सवार दोनों शूटर मौके से फरार हो गये जबकि बाबा तरसेम को लहूलुहान हालत में चिकित्सालय पहुंचाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।बाबा तरसेम की अचानक हत्या से तराई समेत यूपी के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले उनके समर्थकों में खासा रोष था।हाईप्रोफाइल मर्डर की गूंज देहरादून तक भी पहुंची और बाबा तरसेम के भोग में शामिल होने स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी नानकमत्ता पहुंचे थे।जांच में जुटी पुलिस टीमों ने उक्त हत्याकांड के खुलासे को एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर फरार शूटर की पहचान पंजाब के सर्वजीत सिंह और अमरजीत सिंह के रूप में की जिनके खिलाफ एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले विभिन्न थाना क्षेत्रों में पंजीकृत थे।दोनों शूटर की गिरफ्तारी को तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी के आदेश पर पुलिस टीमों ने उत्तर प्रदेश,पंजाब,हरियाणा समेत कई राज्यों में लगातार दबिश दीं।पुलिस ने 4 अप्रेल को खुलासा करते हुए हत्याकांड में शामिल रहे दिलबाग सिंह पुत्र लक्ष्मण सिंह निवासी निगोही जनपद शाहजहांपुर,हरविंदर सिंह उर्फ पिंदी मलकीत सिंह निवासी तिलहर शाहजहांपुर,बलकार सिंह पुत्र दर्शदा निवासी करेला जनपद पीलीभीत व अमनदीप सिंह उर्फ काला पुत्र कुलदीप सिंह निवासी बरा थाना अमरिया जनपद पीलीभीत को बाबा तरसेम सिंह की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार करने का दावा किया।हत्याकांड को अंजाम देकर फरार हुए दोनों शूटर अमरजीत सिंह और सर्वजीत सिंह की गिरफ्तारी के लिये उनके सिर पर एक लाख के इनाम की घोषणा की गई थी।पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिये दोनों शूटर लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहे,यहां तक कि पुलिस टीमों को चकमा देने के लिये दोनों ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए एकबारगी अपनी लोकेशन बांग्लादेश भी दर्शाई लेकिन पुलिस अपने मिशन में जुटी रही।ऊधम सिंह नगर पुलिस से इनपुट मिलने के बाद गढ़वाल एसटीएफ और हरिद्वार जनपद पुलिस ने दोनों शूटर को 8 अप्रेल 2024 की देर रात रुड़की के पास भगवानपुर थाना क्षेत्रांतर्गत ग्रामीण इलाके में घेर लिया।खुद को घिरा देख उन्होंने पुलिस पर फायर झोंककर भागना चाहा लेकिन पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू उर्फ गंडा पुत्र सुरेंद्र सिंह निवासी नगली फतेहगढ़ थाना कम्मो जनपद अमृतसर पंजाब पुलिस की गोली लगने से मारा गया जबकि उसका साथी अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से फरार होने में कामयाब रहा था।बाबा तरसेम हत्याकांड में शामिल रहे दूसरे प्रमुख शूटर सर्वजीत सिंह को ऊधम सिंह नगर पुलिस ने कप्तान मणिकांत मिश्रा के कुशल नेतृत्व में एक जबरदस्त खुफिया अभियान के बाद विगत 26 मार्च को पंजाब के तरनतारन से दबोचने में कामयाबी पाई थी।हालांकि वापसी में काशीपुर के पास टायर फटने से पुलिस का वाहन अचानक पलटने के बाद एक दरोगा की पिस्टल छीनकर शूटर सर्वजीत ने भागने का प्रयास किया परन्तु पुलिस से मुठभेड़ में उसके दोनों घुटनों में गोली लगने से वो मौके पर ही लहूलुहान होकर गिर पड़ा।कोर्ट से सर्वजीत की 24 घंटे की रिमांड मिलने के बाद अब पुलिस बाबा तरसेम हत्याकांड के पीछे के प्रभावशाली बड़े मगरमच्छों की संलिप्तता की कड़ी से कड़ी जोड़ने का प्रयास करेगी।
यक्ष प्रश्न जो पुलिस शूटर सर्वजीत से पूछ सकती है…?

1:-बाबा तरसेम की हत्या से पूर्व 19 मार्च से गुरूद्वारे की सराय में रुके दोनों शूटर ने हत्या के लिये 28 मार्च तक यानि लगभग 10 दिनों की प्रतीक्षा क्यों की ?
2:-सराय में रुकने की अवधि में उनकी दिनचर्या क्या थी ?
3:-इस दौरान वे किन लोगों के सम्पर्क में थे ?
4:-सराय में उनसे मिलने कौन लोग आया करते थे ?
5:-सराय में रुकने की अवधि के दौरान वे कहां-कहां और क्यों गये थे ?
6:-सराय में रुकने के तुरंत बाद उन्होंने क्यों बाबा तरसेम को ठिकाने नहीं लगाया ?
7:- अमरजीत और सर्वजीत चाहते तो सराय में रुकने के बाद दो या तीन दिन के भीतर ही बाबा तरसेम की हत्या कर सकते थे,फिर उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया ?
8:-क्या बाबा तरसेम की हत्या के लिये दोनों शूटर किसी के इशारे का इंतजार कर रहे थे ?
9:- कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी मामले में दिवंगत बाबा तरसेम की हत्या से 10 दिनों पहले तक किसी के साथ उनकी कोई डील चल रही थी ? क्या डील पूरा ना होने पर बाबा की हत्या करवा दी गई हो ?
10:-कहीं ऐसा तो नहीं कि दिवंगत बाबा को ठिकाने लगवाने में उन्हीं के किसी खासमखास का हाथ रहा हो ?
11:-कहीं बाबा तरसेम हत्याकाण्ड में मुख्य साजिशकर्ता बताया गया दिलबाग एक मोहरा है और सूत्रधार कहीं कोई और तो नहीं ?
12:-पुलिस ने शूटर की कॉल डिटेल के आधार पर पूर्व में उनकी लोकेशन का तो जिक्र किया था परन्तु साजिशकर्ता दिलबाग सिंह की कॉल डिटेल का क्या हुआ ?
बाबा तरसेम की हत्या में शामिल होने के लिये पुलिस ने तत्कालीन नानकमत्ता गुरुद्वारा कमेटी प्रमुख स० हरबंस चुघ,बाबा अनुप सिंह,फतेह सिंह समेत कुल चार की भूमिका मुक़दमें में बतौर संदिग्ध दर्शाई है, लेकिन जब रिटायर्ड आईएएस चुघ को हाईकोर्ट से राहत मिली तो पुलिस की जांच पर भी सवालिया निशान उठे !
अब पुलिस बाबा तरसेम सिंह की हत्या के लिये नवाबगंज स्थित गुरुद्वारा छठी पातशाही के प्रमुख सेवादार स० अनुप सिंह को मुख्य साजिशकर्ता मानकर चल रही है और इसी दिशा में पुलिस सर्वजीत से पूछताछ कर कड़ी से कड़ी जोड़ने का प्रयास कर सकती है।सूत्रों के मुताबिक स० अनूप सिंह चूंकि मीरी-पीरी खालसा अकादमी से भी जुड़े रहे हैं जहां के खिलाडी विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय स्तर पर उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर चुके हैँ।बताया जाता है कि कबड्डी से जुड़ी एक फेडरेशन में बाजपुर निवासी सुल्तान सिंह और अनूप सिंह भी जुड़े थे और इसी आधार पर अनूप सिंह की कड़ी सुल्तान सिंह से जोड़ी जा रही थी।सुल्तान सिंह फिलहाल जमानत पर रिहा बताया जा रहा है और दिलबाग सिंह जेल के अंदर ही है।अब पुलिस सुल्तान सिंह के बाद सर्वजीत सिंह से पूछताछ करके उसके तार अनूप सिंह से जुड़े हैं या नहीं,इस बाबत तथ्य जुटाने का भरसक प्रयास कर सकती है।हालांकि अभी तक स० अनूप सिंह की कोई भी क्रिमिनल हिस्ट्री पुलिस साबित नहीं कर पायी है लेकिन शूटर सर्वजीत के बयानों के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है कि स० अनूप सिंह बाबा तरसेम हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता है या फिर जेल में बंद दिलबाग सिंह ही हत्याकांड का मुख्य सूत्रधार है और स० अनूप सिंह का नाम केवल और केवल संदेह के आधार पर ही मुक़दमे में शामिल किया गया था ?


