बड़ी खबर… भाजपा का माहौल बनाने को रुद्रपुर में मुख्यमंत्री धामी का 16 को रोड शो, क्या विधायक अरोरा और पूर्व विधायक की अदावत पर लगेगा पूर्ण विराम या फिर….?


रुद्रपुर।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 16 जनवरी दिन बृहस्पतिवार को रुद्रपुर में भाजपा द्वारा प्रस्तावित एक रोड शो में शामिल होने के लिये आने वाले हैं जहां वे पार्टी की ओर से मेयर प्रत्याशी विकास शर्मा समेत सभी चालीस वार्डों के पार्षद प्रत्याशियों को जिताने के लिये मतदाताओं से अपील करेंगे।भाजपा विधायक शिव अरोरा ने बुधवार को सिटी क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान इस बाबत मीडियाकर्मियों को जानकारी दी। विधायक ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह का रोड शो गल्ला मंडी स्थित खाटू श्याम मंदिर से दोपहर दो बजे शुरु होगा जिसके बाद भगत सिंह चौक,मुख्य बाजार,बाटा चौक,अग्रसेन चौक,डी डी चौक,शिव नगर,चामुंडा मंदिर,गोल मढ़ईया,ट्रांजिट कैंप के मुख्य मार्ग से होते हुए फुटबाल मैदान जाकर रोड शो का समापन होगा।विधायक के मुताबिक रोड शो के दौरान जगह-जगह निगम के सभी चालीस वार्ड के प्रत्याशियों की ओर से मुख्यमंत्री के स्वागत हेतु तोरण द्वार लगाये जायेंगे।बताया कि प्रदेश के मुखिया के स्वागत के लिये विभिन्न सांस्कृतिक व सामाजिक संगठनों द्वारा भी रंगारंग प्रस्तुतियां की जायेंगी।अरोरा ने दावा किया कि धाकड़ धामी के रोड शो में हजारों पार्टी कार्यकर्ता शामिल होंगे और सीएम के रोड शो से मेयर समेत सभी पार्षद प्रत्याशियों के उत्साह में भी अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी होने वाली है।

ठुकराल की वापसी के सवाल पर विधायक की रहस्यमयी मुस्कान…
प्रेस वार्ता के दौरान न्यूज खरी-खरी संपादक ललित शर्मा ने जब विधायक अरोरा से पूछा कि क्या मुख्यमंत्री के रोड शो में पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल भी शामिल होने वाले हैं तो उन्होंने रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा कि पार्टी की जीत के लिये यदि ” माननीय पूर्व विधायक ” भी समर्थन देते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है,बस यहीं से विधायक के बदले तेवर का अंदाजा हो गया।अब इसे रुद्रपुर में पल-पल बदलते राजनीतिक समीकरण कहें या विधायक अरोरा की विवशता कि कभी ठुकराल और अरोरा के बीच सांप-नेवले जैसे बैर भाव वाली परिस्थितियों के लंबे अरसे तक रहने के बाद आज अरोरा ने पूर्व विधायक के लिये पहली बार “माननीय” शब्द का प्रयोग किया।
अतीत के स्याह पन्ने..
उल्लेखनीय है कि ऊधम सिंह नगर जिला मुख्यालय यानि रुद्रपुर में 2 अक्टूबर 2011 को उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार दंगे की आग भड़क उठी थी जिसमें भारी आगजनी के अलावा कई नागरिक भी हताहत हुए थे।उक्त दंगों में संदिग्ध भूमिका के आरोप में पूर्व विधायक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया गया था।गिरफ्तारी से बचने के लिये पूर्व विधायक को कई माह तक अज्ञातवास में भी रहना पड़ा था।दंगों की आंच ठंडी होने के बाद ठुकराल के समर्थकों ने उन्हें रुद्रपुर को बचाने वाला मसीहा कहकर प्रचारित करना शुरु कर दिया था।रुद्रपुर के दंगे ठुकराल के राजनीतिक कैरियर में सोने पे सुहागा साबित हुए और उन्होंने खुद के नाम के साथ हिंदू हृदय सम्राट लिखना शुरु कर दिया था।रुद्रपुर में दंगों के पश्चात कुछ माह के भीतर हुए विधानसभा चुनाव में ठुकराल ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा।चुनाव में उन्होंने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और तराई के शेर कांग्रेस प्रत्याशी तिलक राज बेहड़ को 3954 मतों के अंतर से हरा दिया।कट्टर हिंदुत्व के रथ पर सवार राजकुमार ठुकराल को रुद्रपुर 66-विधानसभा क्षेत्र की जनता ने दो अक्टूबर के दंगों के बाद अपने सर माथे पर बिठाकर रखा और बतौर ईनाम 2017 के विधानसभा चुनाव में दोबारा से जिता दिया।दूसरे विधानसभा चुनाव में ठुकराल ने अपने प्रतिद्वंदी बेहड़ को रिकार्ड 24,771 मतों के भारी अंतर से पटखनी देकर साबित कर दिया कि रुद्रपुर की सीट भाजपा के लिये अब परंपरागत सीट बन चुकी है।पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले दिग्गज कांग्रेस नेता तिलक राज बेहड़ ने भी बदलती राजनीतिक बयार को भांपते हुए रुद्रपुर के बजाय किच्छा विधानसभा क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी,परिणामस्वरूप वे वर्ष 2022 में किच्छा से विधायक का चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
बेहड़ के बाद का रुद्रपुर…
वहीं रुद्रपुर की राजनीति से बेहड़ के हटने के बाद वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही जिला मुख्यालय पर एक के बाद एक अचानक ऑडियो बम फूटने लगे।सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो क्लिप के बाद ठुकराल की राजनीतिक पहचान पर चढ़ा हिंदुत्व का मुलम्मा पानी के बुलबुले के समान अचानक से फूट गया।देखते ही देखते वायरल कई ऑडियो क्लिप पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक भी पहुंच गईं और ठुकराल के लिये तीसरी बार रुद्रपुर विधानसभा से पार्टी का टिकट हासिल करना आसमान से तारे तोड़ने जैसा मुश्किल हो गया।लंबे विचार-विमर्श के बाद पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे और साफ-सुथरी छवि वाले सीए शिव अरोरा को हिंदुत्व की प्रयोगशाला और परंपरागत सीट बन चुकी रुद्रपुर विधानसभा सीट से मैदान में उतार दिया गया।टिकट कटने के साथ ही पूर्व विधायक के राजनीतिक पराभव का दौर भी शुरु हो गया।उन्होंने अपने नाम के आगे हिंदू हृदय सम्राट लिखना भी बंद कर दिया। कहते हैं कि बुरा वक्त शुरु होने से पहले मनुष्य की मति भी कई बार काम करना कम देती है।अपनी राजनीतिक मां अर्थात भारतीय जनता पार्टी के प्रति सदैव निष्ठावान रहने का कभी दंभ भरने वाले पूर्व विधायक ने अचानक पार्टी से बगावत का बिगुल फूंक दिया।बताया जाता है कि तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री व क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट ने ठुकराल को मनाने के लिये रुद्रपुर में ही डेरा डाल दिया था।संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उनके राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिये अनेक प्रस्ताव भी रखे लेकिन ठुकराल टस से मस नहीं हुए।कहा जाता है कि 2022 के चुनावी समर में बतौर निर्दलीय उतरे ठुकराल को उनकी सलाहकार टीम ने भाजपा प्रत्याशी शिव अरोरा के सामने बड़े अंतर से जीत का भरोसा दिलाया था।अपने आभामंडल में घिरे ठुकराल ने सरल और सीधे स्वभाव के शिव अरोरा को हल्के में लिया लेकिन उनका ये आंकलन पूरी तरह से गलत साबित हुआ।शिव अरोरा ने कुल 60602 मत हासिल कर अपनी 40852 वोट पाने वाली निकटतम कांग्रेस प्रत्याशी मीना शर्मा को 19750 मतों के भारी अंतर से हराया जबकि तीसरे नंबर पर रहे ठुकराल को कुल 26988 मत ही मिल पाये।2022 के विधानसभा चुनाव के बाद कई बार ठुकराल के पार्टी में वापस आने की अटकलें उठती रहीं लेकिन हर बार ये अटकलें कोरी अफवाह ही साबित होती रहीं।
निकाय चुनाव 2025 की राजनीतिक बिसात…
उत्तराखंड में 2025 के स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा के साथ ही रुद्रपुर में राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने के दांवपेंच शुरु हो गये।कभी किसी ने ठुकराल के कांग्रेस ज्वाइन करने का शिगूफा छेड़ा तो कभी भाजपा नेतृत्व द्वारा उनकी वापसी पर मुहर लगाने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में गूंजने लगीं।कांग्रेस ने भी ठुकराल को खूब गच्चा दिया और पूर्व पालिकाध्यक्षा मीना शर्मा द्वारा चुनाव ना लड़ने की इच्छा के बाद पूर्व पार्षद रहे मोहन खेड़ा को हाथ का सिंबल थमा दिया।मरता क्या ना करता की कहावत को चरितार्थ करते हुए ठुकराल ने खुद के साथ ही अपने अनुज से भी मेयर पद के लिये परचा भरवा दिया।त्रिशंकु के समान राजनीतिक आसमान में हिचकोले खाते पूर्व विधायक के साथ एक बार फिर से नियति ने खेला कर दिया।रुद्रपुर के एक मिस्टर लाइजनर के कहने पर वे मुख्यमंत्री धामी से मिलने देहरादून जा पहुंचे।मुख्यमंत्री की फेसबुक वाल पर मुलाकात का फोटो अपलोड होने के बाद गदगद ठुकराल ने रुद्रपुर आने पर नामांकन वापस लेने की सार्वजनिक घोषणा के साथ ही विकास शर्मा को चुनाव लड़ाने का भी आनन-फानन में ऐलान कर दिया।ठुकराल बंधुओं के नामांकन वापस लेने के साथ मानो सिर मुढ़ाते ही ओले पड़ गये हों।भाजपा जिलाध्यक्ष कमल जिंदल द्वारा जारी लेटर उनके लिये बम की तरह फूटा और अनुशासनहीनता के आरोप में छ: साल के लिये पूर्व में निष्कासित हो चुके ठुकराल के पार्टी कार्यक्रमों में शामिल ना होने का फरमान सुना दिया गया।अपनी राजनीतिक छीछालेदारी के चरम पर पहुंचने के बाद पूर्व विधायक ने मीडिया से दूरी बना ली और फिर धार्मिक यात्रा पर निकल पड़े।
क्या मुख्यमंत्री को हो रही गलत फीडिंग…
1:-अब सवाल उठता है कि हिंदू हृदय सम्राट का मुखौटा हटने के बाद आखिर पूर्व विधायक की प्रासंगिकता वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कितनी रह गयी है ?
2:-कहीं मुख्यमंत्री धामी को गलत फीडिंग तो नहीं की जा रही है ?
3:-वायरल ऑडियो में 95% हिंदू महिलाओं के चरित्र हनन जैसी घोर आपत्तिजनक बातें कही गई हैं,जिसने भी ये बातें कहीं वो पास बिठाने तो क्या किसी सभ्य परिवार के घर के दरवाजे पर खड़ा होने के भी लायक नहीं है,क्या चुनाव प्रचार में विपक्ष द्वारा इसे मुद्दा नहीं बनाया जायेगा ?
4:-क्या बाबा भक्त और धार्मिक प्रवृत्ति के सामान्य ब्राह्मण परिवार से आने वाले मेयर प्रत्याशी विकास शर्मा को संगठन और कैडर वोटर पर भरोसा नहीं रह गया है जो वे ठुकराल की वापसी के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं ?
5:-क्या छ: साल के लिये अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित पूर्व विधायक के निष्कासन की अवधि अब पूरी हो गई है ?
6:-क्या ठुकराल के अस्थिर स्वभाव में अब स्थायी ठहराव का भाव आ गया है ?
7:-पार्टी विद डिफरेंस के नाम से अपनी अलग पहचान रखने वाली भाजपा ने जब अपनी विचारधारा से भटकने पर राष्ट्रीय स्तर के दिग्गजों यथा गोविंदाचार्य,कल्याण सिंह,मदन लाल खुराना,उमा भारती जैसों को माफ नहीं किया तब वो किस मुंह से बिना निष्कासन अवधि पूरी हुए ठुकराल को वापस ले सकती है ?
8:-भाजपा की विशेष पहचान रहे- कड़ा अनुशासन,राजनीतिक शुचिता और राष्ट्रवाद के विचार को धता बताकर व्यक्तिवाद की महत्ता वाली राह को चुनने वाले ठुकराल की असमय वापसी से क्या निष्ठावान पार्टी कार्यकर्ता असहज नहीं होंगे ?
9:-कहीं ऐसा तो नहीं कि ठुकराल की वापसी में जल्दबाजी से रुद्रपुर की भाजपा में गुटबाजी का एक नया दौर शुरु हो जाय ?
बहरहाल 16 जनवरी बृहस्पतिवार की दोपहर को रुद्रपुर में प्रदेश के मुखिया धाकड़ धामी के रोड शो से साबित हो जायेगा कि रुद्रपुर में नगर निगम चुनाव की नईया पर सवार होकर ठुकराल को राजनीतिक पुनर्वास मिलेगा या फिर पूर्व विधायक के लिये अभी भी…बहुत कठिन है डगर पनघट की।


