जानिये… कैसे मिशन सरबजीत को मित्र पुलिस ने तरनतारन में बिछाया जाल, कप्तान मिश्रा की गजब रणनीति ने तोड़ा बाबा तरसेम के हत्यारे का हौंसला,


रुद्रपुर।नानकमत्ता में बाबा तरसेम को गोलियों से भूनकर फरार शूटर सरबजीत सिंह को दबोचने के लिये पंजाब के तरनतारन में काफी अरसे से मित्र पुलिस ने एक तरह से मकड़जाल बुन रखा था।सरबजीत को दबोचने के लिये एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने नानकमत्ता थानाध्यक्ष उमेश कुमार को फ्री-हैंड कर दिया था।जिले की कमान संभालने के बाद कप्तान मिश्रा ने तेजतर्रार पुलिसकर्मियों की एक टीम का गठन किया जो कि सरबजीत की सुरागरशी में जुट गई।सरबजीत द्वारा काफी दिनों से मोबाइल इस्तेमाल ना करने के कारण पुलिस को सर्विलांस या अन्य किसी भी तकनीक से कोई फायदा नहीं हो रहा था।सूत्रों के मुताबिक कई माह की कवायद के बाद भी जब पुलिस के हाथ खाली रहे तब पुलिस टीमों ने बेसिक पुलिसिंग अपनाने का फैसला लिया।कभी नानकमत्ता में सरबजीत के नजदीक रहे एक व्यक्ति से पुलिस ने सरबजीत की छोटी से छोटी आदतों के बारे में जानकारी हासिल की।इसी दौरान पुलिस को सरबजीत के पंजाब के तरनतारन में छुपे होने का खुफिया इनपुट मिला।पुलिस की एक टीम ने कप्तान मणिकांत मिश्रा के आदेश पर तरनतारन में डेरा डाल दिया।बताया जाता है कि मित्र पुलिस के जवानों ने तरनतारन में अपनी दिनचर्या में एक धार्मिक स्थल में लंगर सेवा,साफ-सफाई इत्यादि को शामिल किया।इतना ही नहीं तरनतारन के नशे के सिंडीकेट में भी सेंधमारी कर उनका भरोसा जीत लिया।नशेड़ियों की टोली का विश्वास जीतकर पुलिस को पता चला कि सरबजीत भी नशे का शौकीन है और धार्मिक स्थल के पास स्थित एक डेरे में उसने अपना ठिकाना बना रखा है।सरबजीत की लोकेशन का पुख्ता पता चलने के बाद नानकमत्ता थानाध्यक्ष उमेश कुमार के नेतृत्व में दर्जन भर हथियारबंद जवानों का दस्ता एसएसपी मिश्रा के आदेश पर तरनतारन के लिये रवाना हो गया।सूत्रों ने बताया कि जब ऊधम सिंह नगर पुलिस ने डेरे में छुपे सरबजीत को पूछताछ के नाम पर नजदीकी थाने ले जाने की पहली कोशिश की तो सरबजीत की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए लगभग आधा दर्जन लोग अचानक धारदार हथियारों के साथ पुलिस से भिड़ने को आतुर हो गये लेकिन कप्तान मिश्रा की कुशल रणनीति के चलते मित्र पुलिस की एक अन्य टीम भी बैकअप के लिये वहां मौजूद थी।दर्जनभर से अधिक पुलिसकर्मियों ने अपने-अपने हाथों में एके 47 थाम रखी थीं।जानकारी के मुताबिक हर जवान ने अपनी कमर में दो-दो पिस्टल भी ठूंस रखी थीं।जवानों के हाथों में हथियार और चेहरे पर सख्ती के भाव देख सरबजीत समर्थकों के तेवर ढीले पड़ गये।सरबजीत सिंह को अपनी हिरासत में लेने के बाद पुलिस टीम ने बिना देर किये ऊधम सिंह नगर की वापसी के लिये कूच कर दिया।बीती देर रात काशीपुर में पुलिस के वाहन का पहिया फटने से वो पलट गया।मौके का फायदा उठाकर सरबजीत ने एक दरोगा की पिस्टल छीनी और भागकर गेहूं के खेत में जा छिपा।पुलिस के आत्मसमर्पण की अपील के जवाब में उसने टीम पर फायर झोंकने शुरु कर दिये।पुलिस की जवाबी कार्रवाई में सरबजीत के दोनों घुटनों में गोली लगने से वो गिर गया जिसके बाद पुलिस ने घायल अवस्था में उसे उपचार के लिये अस्पताल पहुंचाया।आप को बता दें कि बीते वर्ष 28 मार्च की तड़के बाबा तरसेम सिंह की नानकमत्ता में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बाइक सवार दोनों शूटरों की पहचान अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू और सरबजीत सिंह के रूप में हुई थी।ऊधम नगर पुलिस से इनपुट मिलने के बाद जब एसटीएफ ने विगत वर्ष 9 अप्रेल की रात दोनों शूटरों को पकड़ने के लिये रुड़की के पास भगवानपुर के जंगलों में घेराबंदी की तो मुठभेड़ में अमरजीत पुलिस की गोली लगने से ढेर हो गया था जबकि सरबजीत अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल हो था।तभी से पुलिस और एसआईटी उसे दबोचने के लिये जुटी हुई थीं।दो लाख के इनामी सरबजीत के पकड़े जाने से बाबा तरसेम हत्याकांड की साजिश की गुत्थी सुलझने के आसार काफी बढ़ गये हैं।
आई जी रिद्धिम अग्रवाल ने दी शाबाशी!

पुलिस महानिरीक्षक कुमायूं रिद्धिम अग्रवाल ने बाबा तरसेम हत्याकांड के मुख्य आरोपी सरबजीत सिंह को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम को शाबाशी दी है।रुद्रपुर स्थित एसएसपी कार्यालय में उन्होंने मीडिया कर्मियों को बताया कि दो लाख के इनामी सरबजीत को पकड़ने से पुलिस के मनोबल में काफी बढ़ोत्तरी होगी।उन्होंने जिले में नशा कारोबार पर लगाम लगाने के लिये हर कॉलेज में एंटी ड्रग टीम बनाये जाने का भी दावा किया है।


